Panch Parmeshwar
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Panch Parmeshwar

Instructor: Vayu Education of India

Language: HINDI

Validity Period: Lifetime

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पंच परमेश्वर में प्रेमचंद ने दो अभिन्न मित्र अलगू चैधरी और जुम्मन शेख के द्वारा पंच पद की गरिमा को समझाया है तथा न्याय की तराजू को सर्वोपरि सिद्ध किया है। गांवों में व्याप्त गुटबंदी और संकीर्ण मनोवृत्ति पर चोट करने के साथ ही यह कथा अन्याय और आपाधापी पर भी एक करारा व्यंग्य है। इसी के साथ प्रेमचंद की अन्य श्रेष्ठ कहानियां भी दी गई हैं, जो प्रेरक भी हैं और बेहद रोचक भी। कथा – सम्राट के गौरव से विभूषित संसार के अग्रणी कथाकारों में प्रतिष्ठित प्रेमचंद की कहानियों का यह खण्ड सम्पूर्ण रूप से मूल पाठ है। इसे यशस्वी साहित्यकार अमृतराय के निर्देशन में सम्पादित किया गया है। “मुंशी प्रेम चंद का जनम बनारस के निकट लमही गांव में सन 31 जुलाई 1880 में हुआ था ! उन्होंने बी.ए की पढ़ाई पूरी करने के अपरांत इक्कीस वर्ष की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था ! उन्होंने लिखने की शुरुआत उर्दू भाषा से की ! उनकी उर्दू में लिखी कहानियों का प्रथम संकलन ‘सोजे वतन’ के नाम से प्रकाशित हुआ ! प्रेमचंद जी ने सन 1923 में सरस्वती प्रेस की स्थापना की तथा सन 1930 से ‘हंस’ नामक एक ऎतिहासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया ! उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कहानियाँ उपन्यास और वैचारिक निबंध लिखे ! उनकी रचनाओं में उनकी यही विशेषताये विध्समां हैं ! 8 अक्टूबर 1936 में मुंशीप्रेमचंद का बीमारी कारण निधन हो गया !

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